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रातकॉे-सरंग / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

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1.
साँझ पड़ै तॅ निकलै तारा
टिम-टिम चमकै बड़का जेरा
चंदा मामा छै रखबारोॅ
बादल उमड़ै कारोॅ-कारोॅ।
2.
बादल दौड़ै पनरॅे कोस
बाघ बनै कखनू खरगोश
लागै छै सब जिगरी दोस
मिंघरी के सब्भें बेहोश।
3.
चंदरमाँ कॅे बाधा होय छै
कटतें-कटतें आधा होय छै,
पनरे दिन में पूरा चाँन
रोज करै दादी गुणगान।