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रातों के कुहासों जुगनू सा दिया ले के / पूजा श्रीवास्तव

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रातों के कुहासों में जुगनू सा दिया ले के
चौखट पे चले आये हाथों में हिया ले के

बिजली भी गिराई तो तूफां भी समेटा है
हम औरतें चलती हैं आँचल में दया ले के

लिपटी थी सलीके से सादे से दुपट्टे में
वो कितना निखर आई आँखों में हया ले के

दौलत भी हसरतें भी कब्ज़े में नहीं होंगी
जाओगे तुम जहाँ से अपना ही किया ले के

यूँ भी नहीं है आसाँ मेरी खुदी भुलाना
लौटूंगी यहाँ फिर मैं किरदार नया ले के