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रात गहरी है / स्वाति मेलकानी
Kavita Kosh से
घटाटोप अंधेरे में
चमकते जुगनुओं के बीच
बची है जिन्दगी
अभी भी...
दिये जलाने होंगे जल्दी
रात गहरी है
ठंड बहुत है
जुगनू कम हैं।