भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रात दर्जिन थी कोई / प्रतिभा कटियार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

रात दर्जिन थी कोई
सीती थी दिन के पैरहन
के फटे हिस्से...

वो जाने कैसा लम्हा था
धागे उलझ गए सारे

सुईयाँ भी गिरकर खो गईं ।

दिन का लिबास
उधड़ा ही रहेगा अब...