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रात नागण / कन्हैया लाल सेठिया

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सोनल वरणी दिवलै री लौ
जाणै पूंगी सागण,
किरणां री धुन पर डोलावै
फण रातड़ली नागण ।

पड़ी हुवै ज्यूं उतर कांचळी
जिसी च्यानणी लागै,
सेवै तारां रा इंडा नै
जामण चौकस जागै ।