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रात ने जाने क्या सुना मुझसे / विनय मिश्र

रात ने जाने क्या सुना मुझसे ।
ले गई धूप का पता मुझसे ।
 
जैसे गुल में समाई है ख़ुशबू
वो कहाँ है भला जुदा मुझसे ।