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रात में भी तो रौशनी है अभी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
रात में भी तो रौशनी है अभी
एक उम्मीद सी बची है अभी
डायरी के उलट दिये पन्ने
आँसुओं की जरा नमी है अभी
तेरा हँसना भी एक करिश्मा है
दूब पत्थर पे भी जमी है अभी
रब के होने पे शक नहीं करना
उस के कारण जमीं थमी है अभी
रूह हद तक निभा गयी रिश्ता
लोग कहते हैं जिंदगी है अभी
ख्वाब तेरा था या तसव्वुर था
बात इस पर ही तो टिकी है अभी
मत कुरेदो पुराने जख्मों को
पीर मुश्किल से ये दबी है अभी
सब्ज़ पेड़ों से लताएँ लिपटीं
फूल पर ओस झिलमिली है अभी
जिंदगी की उदास राहों पर
हमसफ़र तेरी बस कमी है अभी