भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रात / नील कमल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज की रात
जागने की रात है
सर्द रातों के इतिहास में इसे
सबसे ऊपर दर्ज़ होना है ।

आज की रात
सोचने की रात है
बंद कमरों और रास्तों के
बीच की दूरी ।

आज की रात
रचने की रात है
बारूदी गंध के गीत ।

आज की रात
निर्माण की रात है
हथियारबंद एक दस्ता ।

आज की रात
सीखने की रात है
ज़मीन खोदना, ज्वालामुखी के
मुँह बंद करना ।