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रात / सांवर दइया
Kavita Kosh से
छैलभंवर चांद
पखवाड़ै खातर गया परदेस
आ देख
छिनाळ रात पासो फेंक्यो
भोळी सिंझ्यां
बीं री पाक्यां में आय
नूंत लाई सूरज नै समंदर में
पण हाथ कोनी आयो सूरज
अबै रात बैठी रोवै
अंधारै में !