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राधा श्याम सेवैँ सदा वृन्दावन वास करैँ / हरिश्चन्द्र

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राधा श्याम सेवैँ सदा वृन्दावन वास करैँ,
रहैँ निहचिँत पद आस गुरुवरु के ।
चाहैँ धन धाम ना आराम सोँहै काम ,
हरिचँदजू भरोसे रहैँ नन्दराय घरु के ।
एरे नीच नृप हमैँ तेज तू देखावै काह ,
गज परवाही कबौँ होहिँ नाहिँ खरु के ।
होय ले रसाल तू भले ही जगजीव काज ,
आसी न तिहारे ये निबासी कल्प तरु के ।

हरिश्चन्द्र का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।