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राधिकाक विलाप / कालीकान्त झा ‘बूच’
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चलि गेला सखि श्याम जमुँना पार गय,
हमर जीवन नाव तजि मजधार गय...
पीठ पर फहरा रहल छल पीत पट,
कॉख तर बॅसुरी अधर पर एक लट,
कर कमलमे काठ केर पतवार गय...
भऽ गेला वैराग्य लऽ घर सँ विदा,
ज्ञान मे वनि नाथ गुरू जगतक मुँदा,
प्रेम मे की ई उचित व्यवहार गय...
सत्य अछि घनश्याम चोर हियतोड़ छथि,
रूप कपटी निरदयी बेजोर छथि,
झूठ योगेश्वर कहनि संसार गय...
आन खातिर कान्ह पूर्णानंद छथि,
मिलन सुमनक शुद्ध मधु मकरंद छथि,
व्रजक बनला विरह हाहाकार गय...
हुनक सांख्यक गीत सँ गीता बनल,
भक्ति केर उपदेश सँ गुंजित गजल,
राधिकाक विलाप सभ वेकार गय...