रानी वर्षा / पद्मजा बाजपेयी
ऋतुओं की रानी वर्षा, मन है हर्षा, हर्षा, हर्षा,
रिम-झिम जब पानी गिरता, दिन में ही सूरज ढलता,
मिट्टी की सोंधी खुशबू, शीतल कर देती उष्मा, भर देती है नवजीवन
हरियाली ऐसी छाई, चुनर ओढ़े तरुणाई
ठंडी हवा के झोंके, मन रुकता नहीं रोकें,
मन हर्षा, हर्षा, हर्षा, ऋतुओ की रानी वर्षा।
पपीहा पी-पी बोला, दादुर ने भी मुँह खोला
नभ देख मयूरी नाची, कोयल छिप-छिप के गाती
ठंडी हवा के झोंके, मन रोके रुकता नहीं रोके,
ऋतु की रानी वर्षा, मन हर्षा...
भर गये सभी नदी-नाले, सावन की चली फुहारे,
खुल गये भाग्य हमारे, इन्द्रधनुषी रंग है छाया
मन भावन दृश्य लुभाया, छतरी वाले की माया,
मन हर्षा, हर्षा, हर्षा ऋतु की रानी वर्षा
जब चली हवा मतवाली, झूमी हर डाली-डाली
चातक भर रहा उमंगे, बादल की देख तरंगे।
ठंडी हवा के झोंके, मन रुकता नहीं रोकें,
मन हर्षा, हर्षा, हर्षा, ऋतुओ की रानी वर्षा।