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रामगढ़ से हिमालय की तीन छवियाँ-1 / सिद्धेश्वर सिंह

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पहाड़ों के माथे पर
बर्फ़ की सफ़ेदी है
और मेरे बालों में
उतर रहा है
बीतते जाते वक़्त उजलापन ।

अडिग
अचल
खड़ा है नगाधिराज...
मैं ही क्यों होता रहता हूँ
प्रतिकूलताओं से दोलायमान ।

थोड़ी-सी हिम्मत मुझे भी बख़्शो
मेरे हिमालय !
मेरे हिमवान ! !