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रामदीन रिक्शा वाला / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
कंधे पर इक गमछा डाले
मस्ती की धुन में कुछ गाता,
हटो-हटो जी, रस्ता दो-
जोरों से घंटी खड़काता।
आगे-आगे बढ़ता आता,
रामदीन रिक्शा वाला।
बस अड्डा, स्टेशन या फिर
बड़ा चैक, जौहरी बाजार,
सब रास्ते इसके पहचाने
हरदम चलने को तैयार।
सबको मंजिल तक पहुँचाता,
रामदीन रिक्शा वाला।
नन्हे-मुन्ने प्यारे बच्चों
को ले जाता जब स्कूल,
उनकी मीठी-मीठी बातों
में अपने दुख जाता भूल।
रोचक किस्से खूब सुनाता,
रामदीन रिक्शा वाला।
इन सड़कों पर जीवन बता
सड़कों से है गहरा नाता,
धरती का है प्यारा बेटा
धरती इसकी प्यारी माता।
मेहनत से है कब कतराता,
रामदीन रिक्शा वाला।