रामनवमी / माधवी चौधरी
नवमी तिथि मधुमास केॅ, भेलै हरि अवतार।
हुनका ही श्रीराम जी, बोलै छै संसार ।।
सूर्यवंश के दीप जे, रघुकुल के इजोर।
रामलला के जाप सेॅ, हरसै पोरे - पोर।।
सूर्यवंश मेॅ राम सेॅ, भेलै नवल प्रभात।
अवध राम के नाम सेॅ, जग मेॅ छै विख्यात।।
जन्म भूमि श्री राम के, श्रद्धा के अस्थान।
जन - मन मेॅ आबेॅ करोॅ, मंदिर के निर्माण।।
जन्म पर्व श्री राम के, जय-जय चारो ओर।
रामधुनी के अंग मेॅ, घर - घर भेलै शोर।।
धर्म हानि जब- जब हुयेॅ, हरि लै छै अवतार।
रावण जैह्नों दैत्य के, करै लली संहार।।
कौशल्या के गर्भ सेॅ, भेलै हरि अवतार ।
बड़भागी दशरथ पिता, जानै छै संसार।।
चैत्र मास नौमी तिथि, दिन छै बडी़ पवित्र।
राम - भरत के साथ मेॅ, प्रगटै दो सौमित्र।।
रामजन्म के पर्व मेॅ, गूंजै जय-जय राम।
राम - नाम सेॅ होय छै, पूरा सारा काम।।
गोड़ लगै छौं 'माधवी', प्रभु लेॅ अब अवतार।
कलयुग मेॅ भी त्रस्त छै, दुष्टो सेॅ संसार।।