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रामराज्य आ गया देश में / जय चक्रवर्ती

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रामराज्य आ गया देश में
लालकिले से हुई मुनादी

खत्म हुए अब दिन दुर्दिन के
पग-पग बरस रही खुशहाली
कोई पेट नहीं है भूखा
कोई हाथ नहीं है खाली

किसमें हिम्मत है जो पूछे
अब कोई सवाल-बुनियादी

‘अच्छे दिन’ के इश्तहार
सूरज ने बाँटे हैं घर-घर में
धरती-अम्बर सब डूबे
प्रायोजित जयकारों के स्वर में

सच कहने की,सच लिखने की
सहमी-सहमी है आज़ादी

अपने-अपने देश सभी के,
सबने हिस्से बाँट लिए हैं
खेल-खेल में हाथ किसी ने
पाँव किसी ने काट दिए हैं

“आओ देश-देश खेलें” का
सबको चढ़ा बुखार-मियादी