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राम-लीला गान / 39 / भिखारी ठाकुर

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प्रसंग:

मिथिला की परिचारिकाओं का श्रीराम से सभी मित्रों के साथ मिथिला में ही रहने की विनती।

रहि जा एहिजे अवध के राजा। टेक।
जेते सखा बाड़े सब तुमरे साथ में, मिलि कर सकल समाजा। रहि जा...
करिके उदास मंडप चलि जइबऽ, हमनी से परी तनाजा। रहि जा...
प्रेम के प्यासी दासी हम पगु के, अबलन के राखऽ लाजा। रहि जा...
कहत ‘भिखारी’ गरज सुनऽ-देखऽ, सकल लोक सिरताजा। रहि जा...