राम-लीला गान / 8 / भिखारी ठाकुर
प्रसंग: जनक-फुलवारी में घूमते समय राम-लक्ष्मण से सीताजी का मिलन होता है।
मिथिलापति के बाग अतिसय पवनवाँ, समीप सर का,
बाटे गिरिजा-भवनवाँ। समीप सर का...
सीत-घाम-रहित पवन आगमनवाँ, सकल रितु में,
जइसे खास हऽ सावनवाँ। सकल रितु में...
सियाजी सिंगार साजि के बसन-भूसनवाँ, हरखित मनवाँ,
हेतु गिरिजा-पूजनवाँ। हरखित मनवाँ।...
चलि भइली सखी संग में करि के असनानवाँ, मनोहर बानी में,
गावत रंग-रंग के गानवाँ। मनोहर बानी में...
कंकन-किंकिनि बाजत बा गहनवाँ, सबद परत बा,
त्रिभुवन धन का सरवनवाँ। सबद परत बा...
नृप दसरथ-पुत्र, जनक-सुतानवाँ, लता का ओट से,
छनछेप बिलोकनवाँ। लता का ओट से...
हाथ में धनुस-बान, सिर में जुलफानवाँ, करेज सालत बा,
बाँकी मधुरी मुसुकानवाँ। करेज सालत बा...
बगिया में आइ कर दिहलन दरसनवाँ, दूनां भइया के,
अवधपुर हऽ मकानवाँ। दूनांे भइया के...
स्याम सुंदर नाम ‘राम’, कोसिला ललनवाँ,
सुमित्रा-तनय गोर ‘लछुमन’ सजनवाँ। सुमित्रा-तनय के...
कहत ‘भिखारी’ ललका कमल अस चरनवाँ, लोभाइल प्रानवाँ,
लखि के गोर-साँवर तनवाँ। लोभाइल प्रानवाँ...