राम जी का सोहेला लाली चदरिया से
सीया का दखिन रंग चीरवा हो लाल।
राम जी का सोभेला कुसुमी पगरिया से
सीया का सबुज रंग चोलिया हो लाल।
छोटे-छोटे दूलहा के छोटी-छोटी कनियाँ से
छोटे-छोटे डोलिया कहँरवा हो लाल।
जब सुधि आव राम दूलहा सुरतिया से
हनि-हनि मारेला कटरिया हो लाल।
तनमन धन सभ राम जी दूलहवासे
हँसि-हँसि मनवाँ भोरावेलें हो लाल।
जनितीं जो होइहें सखिया सीया से बियहवा
त रचि-रचि कोहबर रचइतीं हो लाल।
कहत महेन्द्र होइहें कब दू मिलनवाँ से
तरसेला हमरो नयवनाँ हो लाल।