Last modified on 13 अप्रैल 2011, at 19:39

राम राम राम राम राम राम रट रे / भजन

राम राम राम राम राम राम रट रे ॥
भव के फंद करम बंध पल में जाये कट रे ॥

कुछ न संग ले के आये कुछ न संग जाना ।
दूर का सफ़र है सिर पे बोझ क्यों बढ़ाना ।
मत भटक इधर उधर तू इक जगह सिमट रे ॥
राम राम राम राम राम राम रट रे ॥

राम को बिसार के फिरे है मारा मारा ।
तेरे हाथ नाव राम पास है किनारा ।
राम की शरण में जा चरण से जा लिपट रे ॥
राम राम राम राम राम राम रट रे ॥