भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
राष्ट्रीय असुरक्षा / टोमास ट्रान्सटोमर
Kavita Kosh से
अवर सचिव आगे झुकता है और 'एक्स' बनाता है
झूल रही हैं उसके कान की दवा की बूँदें डेमोक्लीज की तलवारों की तरह
चूँकि एक चित्तीदार तितली मैदान में अदृश्य हो गई है
इसलिए खुले समाचारपत्र के साथ अंतर्ध्यान हो गया है राक्षस
एक परित्यक्त हेलमेट ने सत्ता अपने हाथ में ले ली है
माँ-कछुआ पानी के नीचे उड़ान भर कर बच निकलती है
(अनुवाद : प्रियंकर पालीवाल)