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रास्ता ये कही नही जाता / शीन काफ़ निज़ाम

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उम्र लम्बी तो है मगर बाबा
सारे मंज़र है आँख भर बाबा

ज़िन्दगी जान का जरर बाबा
कैसे होगी गुज़र-बसर बाबा

और आहिस्ता से गुज़र बाबा
सामने है अभी सफ़र बाबा

तुम भी कब का फ़साना ले बैठै
अब तो दीवार है ना दर बाबा

भूले-बिसरे ज़माने याद आए
जाने क्यूँ तुमको देख कर बाबा

हाँ, हवेली थी इक, सुना है यहाँ
अब तो बाकी है बस खण्डहर बाबा

रात की आँख डबडबा आई
दास्ता~म कर न मुख़्तसर बाबा

हर तरफ सम्त ही का सहरा है
भाग कर जाएँगें किधर बाबा

उस को सालों से नापना कैसा
वो तो है सिर्फ़ साँस भर बाबा

हो गई रात अपने घर जाओ
क्यूँ भटकते हो दर-ब-दर बाबा

रास्ता ये कही नही जाता
आ गए तुम इधर किधर बाबा