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रास्ता हूँ राहगीरों के लिए / कैलाश झा 'किंकर'

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रास्ता हूँ राहगीरों के लिए।
सब ग़रीबों और अमीरों के लिए।

है ख़जाना पास तो फिर खुश रहो
दिल की दौलत है फक़ीरों के लिए।

सत्य पर जो चल रहे, चलते रहें
काम आएँ वह नज़ीरों के लिए।

छुप के करते वार हैं कायर सभी
सामने का वार वीरों के लिए।

आम जनता रह सके सुख-चैन से
काम यह मुश्किल वज़ीरों के लिए।

दो दिनों की ज़िन्दगी मिलती मगर
आदमी मरता ज़ख़ीरों के लिए।