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रास्ता / स्वप्निल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
उन्हें रास्ता दीजिए वे बहुत जल्दी में हैं
इन्होनें कई नदियों में जाल डाल रखे हैं
इन्हें नदी की सारी मछलियाँ एक साथ चाहिए
सोने की मुर्गी के अण्डे उन्हें एक दिन चाहिए
इनके शब्दकोष में प्रतीक्षा और धैर्य जैसे शब्द नहीं हैं
वे अपने मित्रों के कन्धों पर पाँव रखकर
पार करना चाहते हैं रास्ता
उन्हें तुरन्त चाहिये यश और धन
वे थोड़े से राजी नहीं हैं
इन्हें समूची कायनात चाहिए