रास्ते कभी इतने ख़ून से न गीले थे
गो ज़मीं पे पहले भी भेड़िया क़बीले थे
मेरी आँख का यरक़ान<ref>पीलिया</ref> सारा हुस्न ले डूबा
चान्द, फूल, तनहाई, सबके जिस्म पीले थे
तुझमें हमने देखा है आर-पार का मंज़र
वरना ख़ुद-शनासी<ref>ख़ुद को पहचानना</ref> के और भी वसीले<ref>माध्यम, ज़रीये, साधन</ref> थे
धज्जियाँ उड़ाने पर कुछ हवा भी माइल<ref>तेज़</ref> थी
और कुछ दरख़्तों के पैरहन<ref>लिबास, कपड़े</ref> भी ढीले थे
ज़ह्र पिछली नस्लों ने हमसा क्या पिया होगा
अपना जिस्म नीला है, उनके कण्ठ नीले थे
तू नहीं तो उनका भी, शह्द मर गया जानम
नीम जैसे ये लम्हे, आम से रसीले थे
शब्दार्थ
<references/>