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रास्ते वहां भी हैं / नीलोत्पल
Kavita Kosh से
रास्ते वहां भी हैं
जहां खुदाई की नहीं
क्या तुम तैयार हो
क्या तुमने अपना दिमाग़ और हाथ
साथ लिए हैं
यदि कुछ भूल रहे हो तो
उस अंधेरे कमरे में जाओ
जहां तुम्हारा सामान रखा है
क्या तुम जानते हो
तुम्हारी छिली हुई पेंसिलें कहां रखी हैं।
क्या तुम्हारे हाथ दीवारों पर हैं
क्या तुम थककर बैठ गए हो
अच्छा है अब तुम कुछ नहीं सोचोगे
नहीं सोचना भी
चीज़ों को यथावत् रखता है
और अहसान भी ख़ुद के ऊपर
जब तुम जागो तो
उस ओर मत जाना
जहां सोए थे
उस ओर भी मत जाना
जहां तुम्हें कोई बुला रहा हो
उस ओर जाना
जिधर दिखाई नहीं देता समुद्र
यदि तुम नहीं दिखे समुद्र की तलाश में हो तो
खुदाई शुरू करो
समुद्र तुम्हें तमाम रास्तों के बारे में
अपने अनुभव बताएगा
यह एक अच्छी शुरूआत हो सकती है