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रास्तों के घुमाव देख लिए / विनोद तिवारी


रास्तों के घुमाव देख लिए
कितने-कितने बहाव देख लिए

खाइयाँ जितनी भरीं और बढ़ीं
हमने युग के प्रभाव देख लिए

स्याह दिल मीठी ज़ुबाँ तेज़ नाख़ून
सरपरस्तों के चाव देख लिए

नेमतें सारी हैं मौजूद मगर
हमने बाज़ार भाव देख लिए

वो ही पीड़ा का मर्म जान सका
जिसने अन्तर के घाव देख लिए

सच ही जीतेगा यह नहीं है सच
गाँव भर ने चुनाव देख लिए