रास कब आयेगा पत्तों पे सोना ओस का
इक हवा जागी कि सब ज़ेरो-ज़बर हो जाएगा
यूँ तो शायद कुछ नहीं होना न होना ओस का
रास कब आयेगा पत्तों पे सोना ओस का
चाहे कितना दिल-नशीं है ये बिछौना ओस का
देखते ही देखते मंज़र पे सब खो जायेगा
रास कब आयेगा पत्तों पे सोना ओस का
इक हवा जागी कि सब ज़ेरो-ज़बर हो जाएगा।