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राहुल गांधी की बंडी की जेब / उमाशंकर चौधरी

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राहुल गांधी की बंडी की जेब को देखकर
अक्सर सोचता हँ कि क्या इसमें भी होती होंगी
स्टेट बैंक का ए०टी०एम० कार्ड
दिल्ली मेट्रो का स्मार्ट-कार्ड या फिर
दिल्ली से गाजियाबाद या फिर फ़रीदाबाद जाने वाली
लोकल-ट्रेन का मासिक-पास- एम०एस०टी०
क्या राहुल गांधी भी घर से निकलते हुए सोचते होंगे कि
आज नहीं हैं जेब में छुट्टे पैसे और आज फिर ब्लू-लाइन बस पर
पाँच रुपए की टिकट के लिए करनी होगी
हील-हुज्जत
क्या राहुल गांधी की जेब में भी होती होगी
महीने के राशन की लिस्ट

कितना अजीब लग सकता है जब
राहुल गांधी रुकवा दें किसी परचून की दुकान पर अपनी गाड़ी
और ख़रीदने लगें मसूर की दाल
एक किलो चना, धनिया का पाउडर, हल्दी
और गुजारिश कर दें दुकानदार से कि
28 वाला चावल 26 का लगा दो
यह तो बहुत हो गया अजीब तो इतने से भी लग सकता है
जब परचून की दुकान पर पहुँचने से ठीक पहले
स्टेट बैंक के किसी ए०टी०एम० पर अपनी गाड़ी रुकवा कर राहुल गांधी
निकालने लगें दो हज़ार रुपए

सोचता हूँ क्या राहुल गांधी भी करते होंगे जमा
डाकघर में जाकर आवर्ती जमा की मासिक किस्त
क्या उन्होंने भी पूछा होगा किसी डाकघर में कि
इस पासबुक से उनको
कितने दिनों में कितनी मिल सकती है राशि
क्या उन्होंने भी कभी सोचा होगा कि
अभी होम-लोन थोड़ा सस्ता हो गया है और
इस साल द्वारका सै. 23 में लेकर छोड़ दूँ पचास गज ज़मीन
क्या उनके भी सपने में आता होगा उस पचास गज ज़मीन पर
भविष्य में बनने वाला दो कमरों का घर
और उस घर की सजावट

जो राहुल गांधी के क़रीब हैं वे जानते हैं
जो उनके क़रीब नहीं हैं वे भी जानते हैं कि
कुछ नहीं होता है राहुल गांधी की जेब में
एकदम ख़ाली है उनकी जेब
न ही होता है उसमें ए०टी०एम० कार्ड
न ही स्मार्ट-कार्ड
न ही एमएसटी
और न ही राशन की लिस्ट
राहुल गांधी को न ही जाना पड़ा है आज तक
कभी राशन की दुकान पर
और न ही डाकघर
और न ही सस्ते लोन की तलाश में कोई बैंक
उन्होंने नहीं देखा है अभी तक किसी प्रॉपर्टी डीलर का दरवाज़ा
एकदम ख़ाली है राहुल गांधी की बंडी की जेब

कितना अजीब लगता है कि
एकदम ख़ाली है राहुल गांधी की बंडी की जेब
उसमें नहीं है भविष्य की आशंका
उसमें नहीं है वर्तमान को जीने और
भविष्य को सुरक्षित रख ले जाने की कोई तरक़ीब
लेकिन राहुल गांधी ख़ुश हैं
और राहुल गांधी ही क्यों ऐसे बहुत से लोग हैं
जिनकी जेबों में नहीं है कुछ और वे ख़ुश हैं
यह विरोधभास बहुत अजीब है कि जेबें खाली हैं और लोग ख़ुश हैं

लेकिन किसी भ्रम में न पड़ जाएँ
यह विरोधभास सिर्फ चंद लोगों के लिए है वरना
खाली जेबों वाले लोग तो
पटपटा कर मर रहे हैं