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राह बनाबऽ / राम सिंहासन सिंह

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आबऽ कोनो गीत सुनाबऽ!
तड़प रहल हे मनुआँ हमर-
तू ही एकर दरद मिटाबऽ!!
राह न कोनो सूझ रहल हे
विपदा हे मन बूझ रहल हे
अंधकार हे आबऽ तू ही
सबके दीया तनिक जलाबऽ
मचल सगर हौ आपा-धापी,
सब में बइठल स्वारथ पापी
टुकुर-टुकुर मत देखऽ अब तो
जग के एकरा दूर भगाबऽ!
दूसर के मत राह बताबऽ
आगे-आगे अपने आबऽ
तू जब जगबऽ जग जग जयतो
येही सबके सीख सिखाबऽ
एक-एक जन जहाँ सुधरतइ
वही सान्ति-सौभाग्य बरसतइ
दुनिया के तू बात न बोलऽ
अप्पन सुन्नर राह बनाब!
आबऽ कोनो गीत सुनाबऽ
तड़प रहल हे मनुआ हमर
तू ही एकर दरद मिटाबऽ।