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रिमझिम-रिमझिम, पावस बरसै, मन हुलसाबै ना / छोटेलाल दास

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॥कजली, झूमर॥

रिमझिम-रिमझिम, पावस बरसै, मन हुलसाबै ना।
हाय राम! मोर-मयूरी, सब उमतैलै, नाच दिखाबै ना॥टेक॥
श्याम घटा में बिजली कड़कै, दिल धड़काबै ना।
हाय राम! दादुर पपिहा, शोर मचाबै, बिरह सताबै ना॥1॥
हरित चुनरिया, ओढ़ि बहुरिया, नैन लुभाबै ना।
हाय राम! रात अन्हरिया, जुगनूँ चमकै, भय उपजाबै ना॥2॥
गाछ-बिरिछ के, खुशी बहुत छै, खूब नहाबै ना।
हाय राम! जीव-जन्तु सब, रंग-रंग के, भूमि लखाबै ना॥3॥
उमड़ी-उमड़ी कोशी-गंगाँ, गाँव डुबाबै ना।
हाय राम! यै पावस नैं, सुख-दुख दोनों, बहुत दिलाबै ना॥4॥
जों नैं कहियो वर्षा होवै, सब मरि जाबै ना।
हाय राम! ‘लाल दास’ ई, जीवन-दाता, सबके जियाबै ना॥5॥