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रिमझिम बरसे बदरा / पीसी लाल यादव
Kavita Kosh से
रिमझिम बरसे बदरा, अरे करिया-करिया।
नांगर धर निकलगे, खेत डहर नंगरिया॥
बादर गरजे बिजली लउके
चले जुड़ पुरवाही।
डारा-पाना झूमर-झूम के
देवत हवय गवाही॥
मगन मन अरऽऽ तता, मारत हरिया।
नांगर धर निकलगे, खेत डहर नंगरिया॥
मेचका-टेटका कूद-कूद के
नाचत-गावत हवय।
बंभरी रुख म लुकाय झिंगुरा
चिकारा बजावत हवय॥
जांगर-बाँहा के बल म, टोरत परिया।
नांगर धर निकलगे, खेत डहर नंगरिया॥
माटी म मिले माटी काया
तर-तर चुहे पछीना।
हरियर-हरियर धरती के तन म
चमके बनके नगीना॥
बइला के घाँटी संग में, झोरत ददरिया।
नांगर धर निकलगे, खेत डहर नंगरिया॥