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रिमझिम मेघा बरसे / प्रदीप शुक्ल

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छाता लेकर गुल्लू भैया
निकल पड़े घर से
रिमझिम रिमझिम रिमझिम रिमझिम
रिमझिम मेघा बरसे

रेनी डे है
छुट्टी है
स्कूल नहीं है जाना
पर बारिश में उन्हें भीगने का
मिल गया बहाना

बून्दों से मिलने की ख़ातिर
कितना मन तरसे
रिमझिम मेघा बरसे

आगे आगे
मेंढक उछले
पीछे गुल्लू भैया
चली गई मकई के खेतों में
गुल्लू की नैया

कक्कू चिल्लाए हैं देखो
छत के ऊपर से
रिमझिम मेघा बरसे

गूल्लू यहाँ
मेड़ पर बैठे
देखें वीरबहूटी
जल्दी जल्दी खेत चरे
गूल्लू की गाय कलूटी

तभी अचानक भागे गुल्लू
कक्कू के डर से
रिमझिम मेघा बरसे