मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
रिमझिम सखि सभ चलली नहाय
तरु उपर चीर सभ देलनि नेराय
यमुना पैसी सखि सब रचथि शृंगार
मने-मन सखि सभ करथि विचार
तेल फुलेल कृष्ण देलथि छीटि
पाछा लागल कृष्ण मारथि पीठि
चलू हे सखि दियनु उपराग
बाट चलैत करथि बटमार
झूठ गोआरिन झूठ तोहर बोल
पलंग सूतल छथि कृष्ण अबोध
भनहि विद्यापति गाओल बसन्त
ककरहु होइ जनु अमरुख कन्त