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रिश्ता-नाता, प्यार है क्या / मोहम्मद इरशाद
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रिश्ता-नाता, प्यार है क्या
इस जुग सब बेकार है क्या
अपनों से क्यूँ बचता है
बीच कोई दीवार है क्या
अच्छा है दिखने में तो
तू मन से बीमार है क्या
तू बचपन का साथी है
अब भी मेरा यार है क्या
सच कहने से कतराना
ये कोई किरदार है क्या
 
	
	

