भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रिश्ता-नाता, प्यार है क्या / मोहम्मद इरशाद
Kavita Kosh से
रिश्ता-नाता, प्यार है क्या
इस जुग सब बेकार है क्या
अपनों से क्यूँ बचता है
बीच कोई दीवार है क्या
अच्छा है दिखने में तो
तू मन से बीमार है क्या
तू बचपन का साथी है
अब भी मेरा यार है क्या
सच कहने से कतराना
ये कोई किरदार है क्या