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रिश्ते-2 / नवनीत पाण्डे

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सुख कहाँ है ?
कौन सुख...
चैन ?
नहीं जानता...
शान्ति तो है न !

महाशय !

लगता है...
आपको किसी ने
गलत पता दिया हैं...
इधर
कभी कोई
सुख, चौन, शान्ति नहीं रहे

एक उम्र से
यहाँ सिर्फ मैं हूँ
सिर्फ मैं !
और मेरा अकेलापन...