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रिश्ते हैं पर ठेस लगानेवाले हैं / अशोक रावत
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रिश्ते हैं पर ठेस लगानेवाले हैं,
सारे मंज़र होश उड़ानेवाले हैं.
अब क्यों माँ को भूखा सोना पड़ता है,
अब तो घर में चार कमानेवाले हैं.
इनको मुझसे हमदर्दी तो है लेकिन,
ये सब गुटखा - पान चबानेवाले हैं.
जनगणमन से इनका क्या लेना- देना,
ये तो बस जनगणमन गानेवाले हैं.
कोई इनमें मेरा साथ नहीं देगा,
सजधज कर जो आने जानेवाले हैं.
इनके जाने इस दुनिया में आग लगे,
ये क्या काम किसी के आनेवाले हैं.