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रिश्तों के पुल / गिरिजा अरोड़ा
Kavita Kosh से
आँखों के समंदर में
विश्वास की गहराई से
बन जाते हैं
रिश्तों के पुल
दिलों का आवागमन
जज्बातों का आदान प्रदान
कराते हैं
रिश्तों के पुल
दायरे होते हैं इनके
बंधनों की रैलिंगे लगाते हैं
रिश्तों के पुल
वारंटी दिखती नहीं
पर प्यार का भार
जन्म भर उठाते हैं
रिश्तों के पुल
चेतावनी भी नहीं दिखती
अहं की हल्की सी ठोकर से
कांच से चटक जाते हैं
रिश्तों के पुल