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रुके पाँव मेरे ज़रा चलते-चलते / कैलाश झा ‘किंकर’

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रुके पाँव मेरे ज़रा चलते-चलते
पड़ी कान में जो सदा चलते-चलते।

मिले आप तो दिल खिला फूल जैसा
मयस्सर हुआ आसरा चलते-चलते।

मेरी ज़िन्दगी में अहम मोड़ आया
किया आपने फ़ैसला चलते-चलते।

निशानी मुहब्बत की सालों पुरानी
दिलाती है यादे-वफ़ा चलते-चलते।

भले खूबसूरत नहीं ख़ूब हो तुम
मगर दिल तुम्हीं पर गया चलते-चलते।

जमाने की खुशियाँ ख़ुशी दे न पायीं
ग़मों से मेरा दिल भरा चलते-चलते।