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रुखाळौ अर मालक / दुष्यन्त जोशी
Kavita Kosh से
आखी जिनगी
पीसौ-पीसौ जोड़'र
पीसांवाळा कुहावणौ
अर जीणौ
कंगलै जियां
पीसां नै
रुखाळै
आखी जिंदगी
पीसां रौ
मालक बण'र
तो देख
सुखां री बिरखा
हुज्यासी सरू।