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रुठा लगता है / राजकिशोर सिंह
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मन-तन से रुठा लगता है
कण-कण सा टूटा लगता है
तन से मन का मन से तन का
हर रिश्ता झूठा लगता है
तन तंबू से मन का रिश्ता
जाने क्यों छूटा लगता है
मन कहता है तन है ताजा
स्वाद सभी झूठा लगता है
बाहर से यह एक वरण है
अंदर से पफूटा लगता है
मन से तन का हाल न पूछो
हर हाल अनूठा लगता है
मन की हर महपिफल में यारो
तन काला-कलूटा लगता है।