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रुदन / विजयशंकर चतुर्वेदी
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1
सयाने कह गए हैं
रोने से घटता है मान
गिड़गिड़ाना कहलाता है हाथियों का रोना
फिर भी चन्द लोग रो-रो कर काट देते हैं ज़िन्दगी
दोस्तो, ख़ुशी में भी अक्सर निकल जाते हैं आँसू
जैसे कि बहुत दिनों बाद मिली
तो फूट-फूट कर रोने लगी बहन।
2
वैसे भी यहाँ रोना मना है
पर बताओं तो सही कौन रोता नहीं है?
साहब मारता है, लेकिन रोने नहीं देता
कुछ लोग अभिनय भी कर लेते हैं रोने का
लेकिन मैं जब-जब करता हूँ उसकी शादी का ज़िक्र
तो रोने लगती है बेटी ....
3
आसान नहीं है रोना
फिर भी खुलकर रो लेता है आसमान
नदियाँ तो रोती ही रहती हैं
पहाड़ तक रोता है अपनी क़िस्मत पर
लेकिन बड़ी मुश्किलें हैं मेरे रोने में
कभी मन ही मन भी रोता हूँ
तो रोने लगती है माँ ....