रुष्ट हैं
अन्न की देवी
अन्नपूर्णा
रिक्त है
पेट का
पोरबंदर
हड़ताल से
खाली
खड़े हैं हम
जहाज,
लंगर डाले,
परिवार के
सिंधु में
रचनाकाल: २८-०६-१९७६, मद्रास
रुष्ट हैं
अन्न की देवी
अन्नपूर्णा
रिक्त है
पेट का
पोरबंदर
हड़ताल से
खाली
खड़े हैं हम
जहाज,
लंगर डाले,
परिवार के
सिंधु में
रचनाकाल: २८-०६-१९७६, मद्रास