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रुष्ट हैं अन्न की देवी / केदारनाथ अग्रवाल
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रुष्ट हैं
अन्न की देवी
अन्नपूर्णा
रिक्त है
पेट का
पोरबंदर
हड़ताल से
खाली
खड़े हैं हम
जहाज,
लंगर डाले,
परिवार के
सिंधु में
रचनाकाल: २८-०६-१९७६, मद्रास