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रूँख-१ / दुष्यन्त जोशी

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आज
उदास-उदास
खड़्यौ है रूँख

आपरी उदासी मुजब
बतावै रूँख
अर करै सुवाल
कै
म्हारी ठंडी छिंयां में
थ्यावस सारू
मिनख
क्‍यूं नीं आवै
आं दिनां।