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रूटीन / दुष्यन्त जोशी

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नैतिकता रै नातै
पूछ लेवां-
‘और कियां...?’
सामलो कैवै-
‘ठीक है।’
 
बस हुयगी बात
रूटीन है
आज रै मिनख में
संवेदना कठै?