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रूठे हो किसलिये मुझे वो बात बताओ / रंजना वर्मा

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रूठे हो किसलिये मुझे वह बात बताओ ।
 हम गिर ना कहीं जायें जरा हाथ बढ़ाओ।।

यादों के भंवर निगल रहे चैन हमारा
 अब डोल रही नाव है पतवार चलाओ।।

रुसवा ना करो हमको जमाने की नजर में
 तुम पर ही भरोसा है न अब हाथ छुड़ाओ।।

हम जान न पाये कि हमें दूर किया क्यों
 हम ग़ैर नहीं बात यही खुद को बताओ।।

 जो तुम न मिलोगे तो बरस जायेंगी आँखें
 आँखों में भरे अश्रु झलक अपनी दिखाओ।।

है बदल रहा करवटें विस्तार निशा का
अब स्वप्न बनो नयन पुतलियों में समाओ।।

आओ कि तुम्हारे बिना जीवन हुआ सूना
है चमन पड़ा शुष्क तुम्ही फूल खिलाओ।।

है कष्ट भरी राह हुए पाँव भी घायल
दो चार कदम साथ जरा तुम ही निभाओ।।

मर जायें कहीं हम न प्रतीक्षा बड़ी लंबी
 अब आन मिलो जीवन की आस बंधाओ।।