बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कोट नवै पर्वत नवै सिर नवाये न आवै।
माथौ बबुल जू कौ जब नवै जब साजन द्वारै पै आवै।
काना के भले मालिया जिनने बाग लगाये।
काना की बेटी कोकिला फुल बीनन आई।
जनकपुर के भले मालिया जिनने बाग लगाये।
राजा जनक की बेटी कोकिला फुल बीनन आई।
काना के भले कोटिया जिनने कोट उठाये।
काना के बड़े तापसी चढ़ ब्याहुन आये।
जनकपुर के भले कोटिया जिनने कोट उठाये
अजुद्धा के बड़े तापसी चढ़ ब्याहुन आये।
काना के नट बेड़िया तमासे हो आये।
काना की बेटी सुहाग कों जिन्हें ब्याह रचाये।
अजुद्धा के नट बेड़िया तमासे हो आये।
जनकजू की बेटी सुहाग कों जिन्हें ब्याह रचाये।