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रूप-अरूप / कुमार मंगलम
Kavita Kosh से
1.
शुभ
अचानक बदल जाता है
अशुभ में
और
शुभचिंतक बन जाते हैं ठेकेदार
ठेकेदार काम पूरा होने पर
लग जाते हैं किसी और काम पर ।
2.
जब कभी
किसी ने किसी को
पहचानने से किया है इंकार
उसनेअपने आप को छला है ।
3.
नाहक ही
टूट जाते हैं बड़े से बड़े बंधन
जो दिखने में सबसे विश्वसनीय होता है
सबसे पहला घात वही करता है ।
4
यादें
छतनार हैं
और तुम रौशनी
जब भी याद आती है तुम्हारी
धूप और छांव का तारामंडल बनता है ।
अर्धरात्रि में
तुम्हारी यादों की तुर्शी से ही
महक उठता है छितवन सा
मेरे मन का जंगल
5
पलाश, टेसू, गुलमोहर,
नीम, पारिजात, छितवन
कचनार, आम्र-बौर
और रजनीगंधा
मुझे प्रिय है
इनका झरना प्रिय है
इनके जैसा हो जाना प्रिय है
क्योंकि मुझमें इनके जैसा
वियोग का स्थाई भाव है ।