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रूप बदला है समय ने / धीरज श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
रूप बदला है समय ने, मीत पर मैं हूँ वही !
सब बताऊँगा तुम्हे मैं, तुम मिलो पहले सही !
जी उठा है कौन मरकर
कौन जीकर मर गया ?
नींद मेरी कौन लेकर
साथ अपने घर गया ?
क्या सुनाया चाँदनी ने,और क्या है अनकही !
सब बताऊँगा तुम्हें मैं,तुम मिलो पहले सही !
कौन है वह सिर्फ जिसको
याद मीठी बात भर ?
कौन लिखता गीत तुम पर
कौन गाता रात भर ?
कौन करता चाँद से है,बस तुम्हारी बतकही !
सब बताऊँगा तुम्हें मैं,तुम मिलो पहले सही !
कौन है जो बिन तुम्हारे
जी न पाता चैन से ?
कौन है जो मोतियों को
बस लुटाता नैन से ?
कौन है जिसकी कहानी, सिर्फ पीड़ा सुन रही !
सब बताऊँगा तुम्हें मैं,तुम मिलो पहले सही !