रूप श्याम सुंदर का मन को भाया है
होली के दिन हरि ने हमें बुलाया है
अब मुश्किल होगा बचना बौछारों से
बनवारी ले कर पिचकारी आया है
गूंज रहा है नाम उसी का कण-कण में
मनमोहन ने कैसा रंग जमाया है
गोरोचन-सा है मस्तक पर लगा हुआ
श्वांस श्वांस ने गीत उसी का गाया है
आन बसा मनमोहन मेरी आँखों में
चित्त ह्रदय श्रीहरि ने आज लुभाया है